"दोस्ती की पहल को कमजोरी न समझे पाक"
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पाकिस्तान को आगाह किया कि उसकी शह वाले आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता तथा पड़ोसी देश को दोस्ती की हमारी पहल को कमजोरी नहीं समझना चाहिए।
मुखर्जी ने 64वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को
अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर हाल में हुए युद्धविराम उल्लंघनों और एकभारतीय जवान का सिर काटे जाने की घटना को नृशंस कृत्यकी संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि पड़ोसियों के बीच मतभेद हो सकते, सीमाओं पर तनाव भी हो सकता है लेकिन आतंकवादियों के जरिये हिंसा फैलाना गंभीर चिंता का विषय है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सीमाओं पर शांति कायम रखने में विश्वास करता है इसीलिए वह दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए हमेशा तैयार रहता है लेकिन हमारी इस पहल को हल्केमें नहीं लिया जाना चाहिए।
गैंगरेप की घटना से आहत
राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि राजधानी में चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से बलात्कार और जघन्य कृत्य की घटना से सबक लेते हुए देश कोअपनी नैतिक दिशा को फिर से निर्धारित करनी होगी और युवाओं को अपने सपनों को साकार करने का अवसर देना होगा। मुखर्जी ने महिलाओं के सम्मान की रक्षा और युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राजधानी में चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना को दिलोदिमाग को झकझोर देनेवाली घटना करार दिया। उन्होंने कहा कि ऎसी घटना में सिर्फ एक जान नहीं गई बल्कि हमने एक सपने को खो दिया।
युवा गुस्से में हैं,दोषी कौन
उन्होंने सवाल किया कि अगर युवा भारतीय गुस्से में है तो क्या हम अपने युवाओं को दोषी ठहरा सकते हैं। मुखर्जी ने कहा कि देश को अपनी नैतिक दिशा को फिर से निर्धारित करने का समय आ गयाहै। निराशवादिता को बढ़ावा देने के लिए कोई अवसर नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि निराशवाद नैतिकता को अनदेखाकरता है। हमें अपनी अंतरात्मा में गहराई से झांकना होगा और यह पता लगानाहोगा कि हमसे कहां चूक हुई है। उन्होंने कहा कि समस्याओं का समाधन विचार-विमर्श तथानजरियों में तालमेल से ढूंढना होगा। लोगों को यह विश्वास होना चाहिए कि शासन भलाई का एक माध्यम है और इसके लिए हमें सुशासन सुनिश्चित करना होगा।
हर महिला की सुरक्षा सुनिश्चित हो
मुखर्जी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हर-एक भारतीय महिला के लिए समानता सुनिश्चित की जाए। उन्होंनेकहा कि हम न तो इस राष्ट्रीयदायित्व से बच सकते हैं और नही इसे छोड़ सकते हैं क्योंकि इसे नजरअंदाज करने की हमें बहुत भारी कीमत चुकानी होगी। निहित स्वार्थआसानी से हार नहीं मानते। इसराष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए सिविल समाज तथा सरकार को मिल-जुलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि हम दूसरे पीढीगत बदलाव केमुहाने पर हैं। गांवोंऔर कस्बों में फैले हुए युवा इसबदलाव के कर्णधार हैं। आने वाला समय उनका है। वे आज अस्तित्व संबंधी बहुत सी शंकाओं से ग्रस्त हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या तंत्र योग्यता को समुचित सम्मान देता है। क्या समर्थवान लालच में पड़कर अपना धर्म भूल चुके हैं। क्या सार्वजनिक जीवन में नैतिकता पर भ्रष्टाचार हावीहो गया है। क्या हमारी विधायिका उदीयमान भारत का प्रतिनिधित्व करती है या फिर इसमें आमूलचूल सुधारों की जरूरत है।
जनता का विश्वास जीतना होगा
राष्ट्रपति ने कहा कि इन शंकाओं को दूर करना होगा। चुने हुए प्रतिनिधियों को जनता का विश्वास फिर से जीतना होगा। युवाओं की आशंका और उनकी बेचैनी को तेजी से गरिमापूर्ण तथा व्यवस्थित ढंग से बदलाव के कार्य पर लगाना होगा। मुखर्जी ने कहा कि युवा खालीपेट सपना नहीं देख सकते। उनके पास अपनी और राष्ट्र की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए रोजगार होना चाहिए।
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6 comments:
.सराहनीय अभिव्यक्ति . .गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
फहराऊं बुलंदी पे ये ख्वाहिश नहीं रही .
कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में …….
प्रभावी प्रस्तुति ||
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें-
आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
महत्व पूर्ण उद्बोधन से जुड़ा .काश भारत इन मुद्दों पर ध्यान दे पाए .
आइन्दा नाबालिग (छोटे छोटे कसाब )ही आयेंगे इस देश पे हमला करने .जुवेनाइल कहलायेंगे .एश करेंगे
शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
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