मुंबई। फिल्म स्टार आमिर खान ने अपने टीवी शो सत्यमेवजयते में इस बार छुआछूत का मुद्दा उठाया। शो की खास बातयह थी कि इसमें हिंदुओं के अलावा सिखों,मुस्लिमों और ईसाइयों में भी जाति के नाम पर होने वाले भेदभाव को दिखाया गया। सबसे पहले आमिर ने दिल्ली
विश्वविद्यालय में संस्कृत की प्रोफेसर डॉक्टर कौशल पवार से बात की।उन्होंने आमिर को आप बीती सुनाई।
हरियाणा के वाल्मीकि समाज से ताल्लुक रखने वाली डॉक्टर कौशल ने बताया कि बचपन में उनके स्कूल में अगड़ी जातियों के बच्चों की स्कूल ड्रेस सफेद या गुलाबी रंग की होती थी जबकि उनके समाज के लोग नीले रंग के कपड़े पहनते थे जिससे वे दूरसे ही पहचाने जा सकें। डॉक्टर कौशल ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक बार हमें काफी प्यास लगी। पास में ही ब्रा±मणों के घर थे। हम वहां पानी पीने गए।
बाकी बच्चों ने जब तक पानी पिया तो किसी ने कुछ नहीं कहा मगर जब मैं पानी पीने जाने लगी तो घर की मालकिन बोली यह क्या कर रही हो। उसने मुझे पानी नहीं पीने दिया। डॉक्टर कौशल पवार के मुताबिक उन्हें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भीअपने छात्रावास में कमरे की साथी से ये छुआछूत सहना पड़ा।
इसके बाद 1947 में आईएएस बनने का संकल्प लेने वाले बलवंत सिंह ने आपबीती सुनाई। बलवंत सिंह के मुताबिक आईएएस भी जातिवाद से मुक्त नहीं है। मैं उस समय जिस कप में चाय पीता था, मेरा चपरासी उसे उठाने से गुरेज करता था क्योंकि वह ब्रा±मण समुदाय से था। मैं अफसर जरूर था मगर मैं आईएएस बाद में था। पहले चमार था। इस स्थिति से पहेशान होकर बलवंत सिंह ने 1962 में आईएएस से इस्तीफा दे दिया था।
शो में गोवा के फिल्म स्टार स्टालिन के पkा भी शामिल हुएऔर उन्होंने छुआछूत को लेकर बनाई गई अपनी फिल्म इंडिया अनटच्ड के अंश दिखाए। फिल्म में उन्होंने दिखाया कि मुस्लिमों में शेख-सैयद खुदको बड़े खानदान का मानते हैंऔर अपने साथ बाकी मुस्लिमों को बैठने भी नहीं देते। दलितवर्ग के मुस्लिमों ने कहा किसिर्फ मस्जिद में जात-पात नहीं दिखता मगर मस्जिद की सीढ़ी से उतरते ही उन्हें येझेलना पड़ता है। इसी तरह सिखों में मजहवी सिखों और जटजमींदार सिखों के भेद को सामने रखा गया। ईसाइयों के बीच पुलाया जाति के ईसाई और बाकी ईसाइयों के बीच छुआछूत की बात भी सामने आई।
12 comments:
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
ek kadvi sachchhai se rubaru karvaya gaya is kaaryakram me...
बहुत बढ़िया प्रस्तुति है भाई साहब .हम तो टी वी ही नहीं देखते /देख पातें हैं .आमिर के सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण शो का सार प्रस्तुत करके आपने उपकार किया है .मेरे जैसों पर .जिनकी सनक टी वी नहीं है .
वीरुभाई ,ट्रेवल लोज ,रूम नंबर २३५ ,ट्रेवर सिटी ,मिशिगन स्टेट ,यु .एस .ए .
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आमिर खान का यह सामजिक अवदान याद किया जाता रहेगा -
वे सामजिक सरोकारों को लेकर कितने प्रतिबद्ध हैं यह स्पष्ट है !
वाह |
बढ़िया |
बधाई ||
काफी सशक्त और सुन्दर प्रस्तुति....
लगातार... अनवरत चलती रहे कलम....
Thank you for visiting my blog and your comment on my post. I liked this blog a lot, and am following it too!
जी हाँ...
देखा है वो प्रोग्राम....
हमारे देश को अभी बहुत उन्नति करनी है...मानसिक उन्नति तो बहुत ज्यादा....
आभार
अनु
काफी अच्छी पोस्ट ...
आमिर खान बडा अच्छा काम कर रहे हैं । िससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आयेगा ।
सभी टिप्पणीकर्ताओँ को इंडिया दर्पण की ओर से हार्दिक आभार!
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