अगर आप भारतीय है तो आपको गर्व करने का एक और मौका मिलगया है। जी हां, विश्व बैंक के एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि दुनिया में गरीबी को कम करने के पीछे भारत सहित कुछ देशों को बढ़ायोगदान है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, ब्राजील और चीन में मजबूत आर्थिक विकास के कारण दुनिया में बेहद गरीबी में जीवन जीने वालों का अनुपात 1981 के 52 प्रतिशत से घटकर 2008 में 22प्रतिशत हो गया।
अमेरिकी थिंक टैंक, हड्सन इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर ग्लोबल प्रॉसपरिटी के वार्षिक परोपकार एवं विप्रेषण सूचकांक में विश्वबैंक की एक रपट के हवाले से कहा गया है कि इसका अर्थ यह होता है कि भयानक गरीबी को 2015 तक आधे पर ले जाने के सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य को हासिल किया जा चुका है।
सूचकांक में कहा गया है कि अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, उभरते बाजारों में निवेश, पश्चिमी अर्थव्यवस्था में स्थिर विकास और निर्यात होने वाली उपभोक्ता वस्तुओंकी ऊंची कीमतों ने भी विकासशील देशों में मंदी के असर को कम करने में मदद की है।
2012 के सूचकांक में भी यह बात स्पष्ट है कि अमेरिका सेविप्रेषण के जरिए सर्वाधिक धन प्राप्त करने वाला एकमात्र देश मेक्सिको था, जिसे 2010 में लगभग 22.2 अरब डॉलर की राशि विप्रेषण के जरिए हासिल हुई। यह धनराशि इसके एक वर्ष पहले प्राप्त हुई धनराशि से दो अरब डॉलर अधिक है।
मेक्सिको के बाद चीन, भारत, और फिलीपींस का स्थान है, जिन्हें विप्रेषण के जरिए क्रमश: 12.2 अरब डॉलर, 12.0 अरब डॉलर, और 10.1 अरब डॉलर की धनराशि प्राप्त हुई थी। चीन और भारत को 2010 में विप्रेषण के जरिए प्राप्त हुई धनराशि में जहां वृद्धि हुई, वहीं फिलीपींस को प्राप्त हुई धनराशि में मामूली कमी देखी गई।
कुल मिलाकर विप्रेषण धनराशिमें वृद्धि हुई है, क्योंकि बड़ी मात्रा में विप्रेषण प्राप्त करने वाले कई देश, जैसे कि मेक्सिको, भारत और फिलीपींस की मुद्राएं ठीक उस समय अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुईं, जब मुद्रास्फीति बढ़ रही थी और प्रवासियों ने अपने घर अधिक धन भेजे, जिससे उनके अपने देशों में खरीदी क्षमता बनी रही।