दिल्ली में मिड-डे मील से चखने वाले बीमार

नई दिल्ली। मिड-डे मील के सेवन से एक स्कूल के प्रिंसिपल और एक अध्यापक सहित एक कर्मचारी के बीमार होने का मामला सामने आया है।दिल्ली के रोहिणी इलाके के सेक्टर 21 स्थित स्कूल में मिड-डे मील को टेस्ट करने परये लोग बिमार हो गए। तीनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। यह मिड-डे मील केघटिया गुणवत्ता का पहला उदाहरण नहीं है। हाल ही बिहार में मिड-डे मील से 23 बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद स्कीम में बरती जा रही लापरवाही को लेकर सरकार को काफी आलोचनाओं को सामना करना पड़ा था। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 1974 में राष्ट्रीय बाल नीति घोषित की थी और बच्चों को राष्ट्र की सबसे बहुमूल्य निधि बताया था। पर वास्तव में बच्चे केवल कागज पर बहुमूल्य घोषित हुए थे! इस बात को एक बार नहीं, बार-बार हमारे देश की सरकारों और तंत्र ने साबित किया है। आज ऎसा कोई अत्याचार नहीं, जो बच्चों केसाथ न होता हो। 16 जुलाई को लापरवाही की हद हो गई, बिहारमें छपरा जिले के एक स्कूल में पढ़ने गए बच्चों को कीटनाशक मिला भोजन करा दिया जिससे 23 मासूमों की जान चलीगई।

2 comments:

रविकर said...

उफ़ -

Ramakant Singh said...

निधी आहरण, कोई करे , कमीशन कोई खाये , खाना खाकर बच्चे या शिक्षक मरे, क्या बात है